- स्वप्ना सिन्हा
इसी लाइफ में. फिर मिलेंगे।
मुर्गे की दुकान में एक ही पिंजरे में रहते हुए मुर्गों में अच्छी दोस्ती हो गयी थी। कुछ मुर्गे रोज ही कटते, जिससे बाकि बचे मुर्गे दु:खी हो जाते थे। फिर भी वे एक दूसरे के साथ खुश रहने की कोशिश करते। एक दिन एक मुर्गे ने दूसरे से कहा , "कल गांधी जयंती है , चलो हम सेलिब्रेट करते हैं।" दूसरे मुर्गे ने पूछा ," पर क्यों ?" पहला बोला ," तुम्हें पता नहीं कि गांधीजी अहिंसा के पुजारी थे , इसलिए गांधीजी के जन्मदिन यानि दो अक्टूबर को हमें काटा नहीं जाएगा।" दुसरे ने कहा ," ऐसा क्या ! तब तो आज से ही हमें खुशियां मनानी चाहिए। हमारी उम्र एक दिन तो बढ़ ही गयी।" इतना सुनते ही तीसरा मुर्गा बोल पड़ा ," खुशियां बाद में मनाना , पहले पूरी बात तो जान लो। यद्दपि कल गांधी जयंती है और जीव - जंतुयों को मारना मना है, इसलिए मनुष्य नामक प्राणी आज ही हमें कटवा कर फ्रिज में रख लेंगे और कल चिकन - करी या चिली - चिकन का मजा लेंगे। देख नहीं रहे आज दुकान में कितनी भीड़ है।"
इतने में पिंजरे के अंदर दो हाथ घुसे और मुर्गों को टटोलते हुए शायद उन दोनों मुर्गों को ही निकाल ले गये। बाकि बचे मुर्गे भी शायद आज ही कट जायें , क्योंकि कल अहिंसा दिवस है - आज तो नहीं ! थोड़ी देर बाद उन मुर्गों का मांस एक काले पोलिथिन में लटकते हुए किसी के हाथ में जा रहा था। कल वह आदमी आराम से मुर्गा खाते हुए गांधी जयंती की छुट्टी का मजा लेगा।
its great.....i got goosebumps.....:)
ReplyDeleteThanks for reading & appreciating.
ReplyDeleteBht hi achi aur chu jane wali hai ye kahani.
ReplyDeleteDhanyavad, aapke mantavya ke liye.
DeleteMam
ReplyDeleteThis is a great story which touched the all human being .Gandhi jee non violence theory is appreciated by the whole world United nation highly appreciated his view even South Africa still celebrating Gandhi Jay anti as festival,But we Indian celebrating Gandhi Jay anti as holiday however we should be celebrating Gandhi jay anti as a holly festival.
Regards
Pushkar kr sinha
BGP
Yes, your are very correct. Thanks for reading and posting your comment.
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