- स्वप्ना सिन्हा
इसी लाइफ में . फिर मिलेंगे।
फोन की घंटी बजते ही वे चौंककर उस तरफ देखने लगते। ऐसा लगता था जैसे किसी विशेष फोन का उन्हें इंतजार था। नौकरी के चलते वे शहर में रहते थे , बाकि सारा परिवार गांव में था - माता - पिता , भाई - भाभी , एक बहन और उनकी नयी ब्याही दुल्हन। शादी के समय पंद्रह दिनों की ही छुट्टी मिल पायी थी। छुट्टी खत्म होने के कारण वे कल ही गांव से आ गये थे और आज ऑफिस आकर काम पर लग गये। पर ऑफिस के सहकर्मी कहाँ छोड़नेवाले हैं। सभी सहकर्मियों ने शादी की ख़ुशी में मिठाई खिलाने को कहा तो वे मान गये। उन्होंने आज ही सभी को नाश्ता कराने का वादा किया है।
इसी बीच लंच टाइम हो गया। सभी सहकर्मियों को भरपूर नाश्ता करवाया। सभी बहुत खुश हुए और उनकी खुशहाल शादीशुदा जिंदगी के लिए बार - बार बधाईयां देते रहे। लंच टाइम के बाद सभी अपनी - अपनी जगह काम पर लग गये। पर वे असहज रूप से फोन को उठाते - रखते दिखे। शायद अभी भी उन्हें किसी के फोन का इंतजार है।
करीब शाम के समय उनके गावं से फोन आया कि उनकी पत्नी ने आत्महत्या कर ली है। सभी सहकर्मियों ने उन्हें ढाढस बंधाया। ऑफिस का खुशनुमा माहौल गमगीन हो गया। सहकर्मियों के पूछने पर उन्होंने बताया कि गांव से आने से पहले तो वह ठीकठाक ही थी और खुश भी। पत्नी के घरवाले भी बहुत अच्छे हैं। वे पूरी तरह से दहेज लेन - देन के विरोधी हैं। वरपक्ष के लोग पढ़े - लिखे हैं और उन्हें भी दहेज़ लेना शोभा नहीं देता। इसलिए शादी बिना दहेज़ के ही हुई थी। दोनों के ही परिवारवाले बहुत खुश लग रहे थे। फिर ऐसा क्या हुआ कि ये हादसा हो गया। पर होनी को कौन टाल सकता है। उसी समय वे गांव के लिए रवाना हो गये।
गांव से उनके लौटने पर पता चला कि उनकी पत्नी ने जब आत्महत्या की तब उनके परिवार के सभी सदस्य मंदिर गये हुए थे। उनकी पत्नी ने पूरे कमरे में किरासन तेल डालकर आग लगा ली थी। केवल यह पता नहीं चल सका कि उस कमरे को बाहर से किसने बंद किया था।
इसी लाइफ में . फिर मिलेंगे।
Bhout hi umda kahani!
ReplyDeleteThanks. Isi tarah padhte rahen.
DeleteVery well written. Best of luck. I will bookmark your page for future readings.
ReplyDeleteThanks for your nice comment.
DeleteAchi lagi laghukatha. Antim mein rahasya acha banaya h apne.
ReplyDeleteAapke vicharon ke liye dhanyavad.
DeleteMam
ReplyDeleteIts a short story but deep thought, everyone to think what and how thats hapened.we Indian carry only wastage from west ,Dahez is Arbic word we import it from arab in different direction deh+hez .Dahez means gift of happiness
in forms of kind and other think to his lovely daughter,but sorry to say in our country its form as a solld of body either girls father body or his daughter body.if father cant sold himself than story seems to be as your story.
regards
Pushkar kumar sinha
bgp
Thanks for your comments. Bhartiya samaj ke liye dahej ek abhishap hi hai. Aapke vichar bilkul sahi hain.
DeleteIs kahani ko padh kar yah lagata hai ki samaj me jo padhe likhe log hain unki bhi mansikta hatti ke dant jayse hoti hain, khane ke kuch dikhne ke kuch....
ReplyDeleteSahi kaha aapne. Is bare mei logon ko jarur sochna chahiye. Dhanyavad.
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