- स्वप्ना सिन्हा
इसी लाइफ में . फिर मिलेंगे।
एक तारीख - 12- 12- 12 , जिसका जुनून पूरी दुनिया में दिखा और जिसे हर एक अपने तरीके से यादगार बनाने की कोशिश में लगा रहा । कोई इसे सेलिब्रेट कर रहा था , तो कोई इस दिन एक विशेष काम को अंजाम देकर उसे इस तारीख के साथ यादगार बना रहा था। इस जुनून में हम भारतवासी भी कहाँ पीछे रहनेवाले हैं !
वैश्विकरण के दौर में हमारे यहाँ अब केवल त्यौहार ही महत्वपूर्ण नहीं रह गये हैं , बल्कि कुछ तारीख भी बड़े धूमधाम से मनाये जाने लगे हैं। तभी तो अन्य देशों के साथ - साथ यहाँ भी 12- 12- 2012 को शादी करने और इसी दिन बच्चे को जन्म दिलाने का रुझान बढ़ा । इस तारीख के नजदीक जन्म लेनेवाले बच्चे का सिजरियन डेलिवरी इसी दिन कई दंपतियों ने करवाया । या फिर कुछ जोड़े इसी दिन शादी के बंधन में बंधकर इसे यादगार बनाया । इस दिन से सम्बन्धित भविष्यवाणी करने से भला ज्योतिषी भी पीछे क्यों रहते। वे भी ग्रहों की दशा - दिशा और शुभ - अशुभ बताने से नहीं चुके।
12- 12- 12 तारीख के पहले से ही समाचार पत्रों के पन्ने कई लेखों और समाचारों से भरे थे। इस दिन के समाचारों में कई महत्वपूर्ण घटनाओं का जिक्र था कि कैसे लोगों ने अपने जीवन में इस दिन को यादगार बनाया। लोग सालों तक शेखी बघारते रहेंगे कि इस ता: को उन्होंने क्या किया है।
ऐसे ही अख़बार के पन्ने पलटते हुए मुझे लगा कि यह दिन तो बीत गया , पर मैंने कुछ विशेष किया ही नहीं , जिसे सालों तक याद रखा जा सके। बस रूटीनवर्क करते हुए कब दिन बीत गया पता ही नहीं चला। जब हम रोजमर्रे के कामों में व्यस्त रहते हैं तो ऐसा ही होता है।
पर क्या ऐसे लोगों के लिए किसी महत्वपूर्ण तिथि के कोई मायने हैं , जो नमक - रोटी के जुगाड़ में दिन रात लगे हुए हैं ? बंद घरों में हीटर और ब्लोअर की गर्मी में 12- 12- 12 का जश्न बहुत धमाकेदार और यादगार बन जाता होगा। मीडिया भी ऐसी खबरों को हाईलाइट करती है , न कि ठंड से ठिठुरते गरीबों के दुःख - दर्द को ! एकबार सर्दरातों में बाहर निकलकर तो देखें कि कितने लोग खुले आसमान के नीचे रात गुजारने को विवश हैं। उनके लिए तो एक शब्द ही महत्वपूर्ण है , रोटी - रोटी - रोटी !!!
सही कहा। लोग ये क्यूँ नही समजते है की 12-12-12 की तरह, हर तरीक महत्वपूरण होता है, जो तरीक एक बार गया वो लौट के नही आयेगा ।
ReplyDeleteAapki soch bilkul hi sahi hai. Dhanyavad.
Delete